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जादुई आइना की कहानी


जादुई आइना की कहानी      




    
एक बार की बात है एक शिल्पकार और एक जादूगर मिलकर किसी की भी उस जादुई आइना से उसकी तस्वीर ले के उसकी मूर्ति बना कर उसको गुलाम बना लेता था अगर किसी राजा की मूर्ति बनायीं तो उसको गुलाम बना के उसकी राज्य छीन लेता था या किसी सूंदर स्त्री की तस्वीर बनायीं तो उसमे जान डाल के उसके साथ हैवानियत करता था|इसी तरह से वह प्रतिदिन वह अपने जादुई आइना से किसी का भी तस्वीर लाता और शिल्पकार को देके मूर्ति बनवाता और अपनी इच्छा पूरी करता  एक दिन एक राज की राजकुमारी जो की बहुत ही सूंदर थी वह शैर करने निकली घूमते घूमते अँधेरा हो गया और रास्ता भटक गयी और वही जंगल की किला में पहुंच गयी और देखती है की एक से बढ़कर एक सूंदर मुर्तिया बनी हुयी थी |


राजकुमारी डर गयी लेकिन  हिम्मत नहीं हारी तब तक जादूगर और शिल्पकार दोनों जाते है तो राजकुमारी तुरंत मुर्तिया की भाति खड़ी हो गयी अब जादूगर एक एक मूर्ति को देखने लगा और शिल्पकार से पूछा की ये तस्वीर तो हमने नहीं लायी पैर इतना जयादा सूंदर तस्वीर तुमने कैसे बनायीं  शिल्पकार कुछ नहीं बोला जादूगर बोला की हम कल फिर आएंगे और इस मूर्ति में जान डालेंगे  कह कर चला गया |
तब तक राजकुमारी सिपलकर से पूछती है की आप कौन है और आप ऐसा काम क्यों करते है तो शिल्पकार को रोना गया और राजकुमारी से पूछा आप कौन है और यहाँ पर क्या कर रही है  तो राजकुमारी ने कहा की मै एक राजकुमारी हु और रास्ता भटक गयी और इधर गयी | शिल्पकार ने कहा की हम यहाँ पैर मज़बूरी में काम करते है जादूगर हमारे पास जादुई आइना से तस्वीर लाता है और हम उससे मुर्तिया बनाते है ताकि जादूगर मुर्तिया में जान डाल सके | तब तक राजकुमारी पूछ देती है की ऐसी क्या मज़बूरी है जिसके कारण तुम ऐसा घिनौना काम करते हो . शिल्पकार बोला की जादूगर हमारे माता पिता को बंदी बना कर रखा है जबभी हम उसका बिरोध करता हु तो जादूगर कहता है की अगर तुम हमारा काम नहीं करोगे तो हम तुम्हारे माता पिता को मर देंगे  यही मज़बूरी है जिसके कारण हम यहाँ पर मुर्तिया बनाते है  | हम दोनों मिलकर उस जादूगर को मार देते है शिल्पकार बोला की यह सम्भव नहीं है वह नहीं मर सकता है राजकुमारी बोली क्यों नहीं मर सकता है शिल्पकार बोला की सात समुन्दर पार एक एक बहुत बड़ा सर्प है जिसके काटने से वह मर सकता है | राजकुमारी बोली तुम उस सर्प का मूर्ति बनाओ शिल्पकार बोला ऐसा कैसे हो सकता है मुर्तिया में जान डालने के लिए जादूगर मंत्र पढ़ता है तभी मुर्तिया में जान आती है


राजकुमारी बोली तुम चिंता करो जब जादूगर दूसरे मुर्तिया में जान डालने के लिए जब मंत्र पढ़ेगा तो उसकी हिलती हुयी होठ से हम मंत्र सीख लेंगे | अगले दिन जादूगर आया और राजकुमारी के सामने खड़ा हो कर मंत्र पढ़ने लगा जबकि राजकुमारी तो जिन्दा थी इसलिए राजकुमारी पर मंत्र का कोई असर नहीं हुआ | जादूगर गुस्सा हो कर शिल्पकार को डाटने लगता है की तुमने कौन सा मुर्तिया बनायीं जिसपे हमारा मंत्र काम नहीं कर रहा है |






तब तक राजकुमारी ने मंत्र पढ़ कर सर्प को जिन्दा कर दिया और आदेश दिया की वो जादूगर को काटे सर्प ने जैसे है जादूगर को कटा जादूगर मर गया  तब तक राजकुमारी ने अपनी तलवार निकल के सर्प को भी मार दिया ताकि दोनों को कोई नुकसान पहुंचे   शिल्पकार ने राजकुमारी को धन्यबाद दिया राजकुमारी ने शिल्पकार से फिर से पूछा की तुम यहाँ पर कैसे आये
जादूगर अपने जादू से पुरे पृथ्वी पर राज करना चाहता  था उसने अपने जादू से सबको बस में कर रखा था  वह चाहता था की कोई उसके लिए मुर्तिया बनाये  ताकि कस्मे जान डालकर उसको गुलाम बना सके | जादूगर एक राज्य  में   घूमते जा रहा था तब तक देखा की एक शिल्पकार किसी भी आदमी को सामने कर के मुर्तिया बना सकता था  जादूगर ने सोचा की ये हमारी इछा  पूरा कर सकता है अब जादूगर सोचने लगा की शिल्पकार को कैसे ले के जाये  अब अँधेरा भी होने वाला था जादूगर उसके घर गया और बोला की मई बहुत दूर से आया हु मई अभी अपने घर नहीं पहुंच सकता तो आज रात के लिए मुझे ठहरने की थोड़ी जगह चाहिए | शिल्पकार के माता पिता ख़ुशी ख़ुशी हा कर दिए बोले एक रात की तो बात है आप यही ठहरिये  सुबह चले जाईयेगा |  सभी खाना खाया और सो गए सुबह हुयी तो शिल्पकार ने देखा की नहीं जादूगर है और ना ही उसके माता पिता   वह बहुत दुखी हुवा  तब तक देखा की  एक पत्र देखा वह पत्र यथा के पढ़ना शुरू किया तो उसमे लिखा था की हम तुम्हारे माता पिता को अपने साथ ले के जा रहे है और तुम भी बड़ी जंगल में जो पुराना किला है वह जाना  नहीं तो हम तुम्हारे माता पिता को मर देंगे शिल्पकार अब सोचने लगा की की वो जंगल कहा  है और पुराण किला कहा है

तब तक शिल्पकार के घर में एक तोता था जो की शिल्पकार से बोला की हमको  मालूम है की  पुराण किला कहा है तुम हमारे पीछे पीछे जाओ |
शिल्पकार किला पहुँचता है तो जादूगर से बोला की ताम हमारे माता पिता को बंदी बना कर क्यों लाये हो  तब शिल्पकार ने उत्तर दिया की तुम हमारे लिए मुर्तिया बनाओ और हम उसमे जान डाल के सबको गुलाम बनाना चाहता हु  अगर तुम ऐसा नहीं करोगे तो हम तुम्हारे माँता पिता को मार देंगे नहीं नहीं ऐसा नहीं करना हम मुर्तिया बनायेगे |

राजकुमारी बोली की अब बताओ की तुम्हारे माता पिता कहा है शिल्पकार बोला हमको नहीं मालूम है तब राजकुमारी बोली तब क्या होगा कैसे मिलेंगे तुम्हारे माता पिता तब  तक तोता जाता है और कहता है की हमको मालूम है जाओ हमारे पीछे पीछे दोनों तोता के पीछे जाते जो



थोड़ी दूर जंगल में एक खँडहर में जादूगर ने रखा था शिल्पकार अपने माता पिता से मिलकर बहुत खुश होता है |
और राजकुमारी को फिर से धन्यवाद कहता है उसके बाद सभी अपने अपने देश को चले जाते है


धन्यबाद

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